कल एकादशी के दिन यह काम भूलकर भी ना करें (Varuthini Ekadarshi) नहीं तो भारी पाप लगेंगे, जानें इन एकादशी व्रत में क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए” क्या शुभ होगा, शुभ मुहूर्त कब हैं इन एकादशी व्रत का’ इनकी टाइमिंग क्या हैं।
Varuthini Ekadarshi Vrat 2025 – जानें एकादशी व्रत को क्या कहते हैं।
एकादशी व्रत को हरितोष व्रत कहा जाता है’ भगवान हरि की प्रसन्नता के लिए यह व्रत रखा जाता है’ (Varuthini Ekadarshi) एक बार युधिष्ठिर बोले हे’ भगवान मैं आपको नमस्कार करता हूं, बैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है” उसकी क्या कथा है और इनकी महत्व क्या हैं” कृपा करके हमें बताएं तो भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया की तुमने समस्त मानव जाति के लिए बहुत ही अच्छी बातें पुछी है” एकादशी का व्रत सभी व्रतों से श्रेष्ठ माना गया जो मुझे प्रसन्न करने वाला है’ हरी को प्रसन्न करने वाला है’जो भी मानव इन व्रत को सच्चे मन से करते हैं उनपर में प्रसन्न हो जाता हूं। यह व्रत का नाम वरुथिनी एकादशी हैं सौभाग्य देने वाली है सभी पापों को नष्ट करने वाली व्रत हैं और अंत में यह व्रत मोक्ष प्रदान करता हैं
अगर कोई भी मनुष्य इस व्रत को नियम संयम से करता हैं तो निश्चित रूप से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। और इन व्रत का एक और कहानी है की उस समय एक राजा हुए करते थे जिनका नाम था मान्धाता” वो भगवान श्री हरि के भक्त थे वो वन में तपस्या कर रहे थे और तभी वन में एक भालू आया और मान्धाता का पैर को खानें लगा” उनको अनुभव और एहसास भी हुआ (Varuthini Ekadarshi) तभी भी वो अपना तपस्या नहीं छोड़ा’ तो उसके बाद भालू को चैन नहीं आया तो उनको पैर को खिंचते खिंचते जंगल में ले गया। मानो उनके प्राण लेने के लिए वो भालू आतुर था मानो जैसे प्राण लिए बिना उनको छोड़ेंगे नहीं, लेकिन तभी भी उन्होंने तपस्या करना नहीं छोड़ा” उनका नियम था कि अगर तपस्या पर बैठे हैं तो तपस्या बिना पूर्ण हुआ वहां से उठेंगे नहीं, तपस्या करते-करते बहुत दिनों बाद भगवान नारायण उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उन भालू को गर्दन काट दिया” उसके बाद भगवान को उन्होंने प्रणाम किया राजा बहुत दुखी हुए उनका एक पैर को भालू ने खा गया था काट करके’ तभी भगवान ने कहा तुम चिंता मत करो तुम्हारा यह पैर स्वस्थ हो जाएगा” (Varuthini Ekadarshi) इसके लिए तुम्हें एक काम करना होगा मथुरा चले जाओ यमुना जी के तट पर और वहां जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत रखो” राजा ने यमुना तट पर जाकर यही किया और रोशनी का व्रत रखा” भगवान श्री नारायण के आशीर्वाद से उनका पैर फिर से ठीक हो गया” यह थी वरुथिनी एकादशी व्रत की कहानी.
Varuthini Ekadarshi Shubh Muhurt 2025 – जानें इन व्रत की शुभ मुहूर्त कब से कब तक हैं (Varuthini Ekadarshi)
24 अप्रैल को पारण का समय 5:35 बजे से लेकर 7:55 बजे तक इन व्रत का पारण का समय रखा गया है’ (Varuthini Ekadarshi) । स्नान 24 अप्रैल को सुबह-सुबह कर ले सूर्य उदय से पहले’ संकल्प करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें असत्य का त्याग करें और ज्यादा से ज्यादा भगवान का भजन और नाम जप करें और इन दिन भूलकर भी लहसुन प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए और वरूथिनी एकादशी व्रत के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। अगर आपको तुलसी का पत्ता तोड़ना है तो एक दिन पहले यानी आज ही तोड़ लिजियेगा। इस दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना अशुभ माना जाता है” माता तुलसी भी भगवान विष्णु के लिए व्रत रखतें हैं इसलिए तुलसी का पत्ता इस दिन नहीं तोड़ना चाहिए।
Click Here;- Muzaffarpur Airport construction – बनने जा रहा मुजफ्फरपुर एयरपोर्ट